बरसात की बहारें
बरसात की बहारें :
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पावस ऋतु की आई फुहारें बांधों घुंघरू
ठन्डी ठन्डी पड़ें फुहारें बांधों घुंघरू।
सखी बांधों घुंघरू।
मन करता है आज हमारा सारा दिन हम नाचेंगे,
बीच बीच मे चाय-पकोड़े खा कर थूम मचायेंगे।
मनुआ जाने किसे पुकारे, बांधों घुंघरू,
सखि बांधों घुंघरू।
पावस ऋतु आई है दिल से,हिया का चातक बोले,
पीहु पीहु सुन पुकार मेरा दिल खाएं हिचकोले ।
छम छम छम छम नाचेंगे हम बांधों घुंघरू,
सखि बांधों घुंघरू।
जाने कौन हिया मे आ कर मुझको टेर लगावे ,
कबहूं गावे विरह गीत और कबहूं कजरी गावे,
आज हरा दें उस ज़ालिम को बांधों घुंघरू,
सखि बांधों घुंघरू।
पावस ऋतु छाई धरती पर ,सूरज ने तपिश दिखाई,
ज़ालिम बालम भये परदेशी,जियरा मे अगन लगाई।
झूम झूम के बरस ऐ बदरा शमन अगन का कर दो,
मेघदूत बन कर प्रियतम को खबर मेरी तुम कर दो।
प्यार की एक बूंद जो गिरे तो मन- मयूर मस्त हो नाचे
नाचे मयूरी,कोयल बोले बांधों घुंघरू,
सखि बांधों घुंघरू।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Gunjan Kamal
16-Jul-2023 01:12 AM
👌👏
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Varsha_Upadhyay
15-Jul-2023 07:30 PM
बहुत खूब
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Alka jain
15-Jul-2023 02:07 PM
Nice one
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